जयतपज ववकनद ज दवर हद धरम, यग, एव अधयतम पर लख गई सभ पसतक क नच दए गए पसतक क नम पर कलक कर डउनलड कर
- करमयग
- जञनयग
- भकतयग
- परम यग
- हनद धरम
- मर जवन तथ धयय
- जत, ससकत और समजवद
- वरतमन भरत
- पवहर बब
- मर समर - नत
- जगरत क सनदश
- भरतय नर
- ईशदत ईस
- धरमतततव
- शकष
- रजयग
- मरणततर जवन
अपन कह मर सन :वयवहरक तथ आधयतमक दन कषतर म समनवय क अतयत आवशयकत ह समनवय कहत ह सर बत क लकर एकत सथपत करन समनवय क बन सरवतर अह-हनतव एव वदवष क भवन वयपत ह
वयवहरक समनवय
पत-पतर, पत-पतन, गर-शषय, सस-बह, भई-बहन, पड़स-पड़स म ज कलह ह, इसक करण ह - आपस म समनवय न करन समनवय करन क लए सबक अचछइय क दखन पड़ग परनत हम त ऐस अधम ह क हर समय सबक बरइय क दखत ह
द वयकत द वतवरण एव ससकर म जनम हत ह, फर दन क सर वचर और वयवहर सरवथ एक कस ह सकत ह!
ऐस सथत म दन क कवल सर बत क लकर समनवय कर लन क अतरकत एकत क लए अनय कय चर ह!