एनी बेसेंट एक महान समाज सुधारिका, महिला कार्यकर्ता, सुप्रसिद्ध लेखिका, थियोसोफिस्ट, राष्ट्रीय कांग्रस की पहली महिला अध्यक्ष और प्रभावी प्रवक्ता थी। वे भारतीय मूल की नहीं थी, लेकिन फिर भी उन्होंने भारतीयों के हक के लिए लड़ाई लड़ीं। भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद करवाने के लिए की लडा़ई में उनका एक महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने अपनी प्रभावशाली लेखनी के द्धारा भारतवासियों के अंदर आजादी पाने की भावना को जागृत किया।
बता दें कि एनी बेसेन्ट ने 1914 मे ‘द कॉमन व्हील’ और ‘न्यू इंडिया’ ये वो दो साप्ताहिक अपने आदर्श के प्रचार के लिये शुरु किये। 1916 मे उन्होंने मद्रास यहा ‘ऑल इंडिया होमरूल लीग’ की स्थापना की। एनी बेसेन्ट और लोकमान्य तिलक इन्होंने होमरूल आंदोलन के व्दारा राष्ट्रीय आंदोलन को शानदार गति दी। चलिए पढ़ते हैं एनी बेसेंट के जीवन के बारे में और अधिक जानकारी।
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जन्मः | 1 अक्टूबर 1847 को कलफम, लंदन, यूनाईटेड किंगडम |
माताः | एमिली मॉरिस |
पिताः | विलियम वुड |
बच्चेः | अर्थर, माबेल (बेटी |
प्रसिद्धिः | थियोसोफिस्ट, महिला अधिकारों की समर्थक, लेखक, वक्ता एवं भारत-प्रेमी महिला |
राजनीतिक कार्यक्षेत्र: | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्रथम महिला अध्यक्ष (1917),अम्बिका चरन मजूमदार से पूर्वकालिक (अर्थात् पहले),मदन मोहन मालवीय से अनुवर्ती (अर्थात् बाद में) |
मृत्युः | 20 सितम्बर 1933, 85 साल की आयु में अड्यार, मद्रास प्रेसिडेन्सी, ब्रिटिश इण्डिया |
राष्ट्रीयताः | ब्रिटिश |
अन्य नामः | एनी वुड |
शिक्षाः | ब्रिकबेक, लंदन विश्व विद्यालय |
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डॉ एनी बेसेन्ट (1 अक्टूबर 1847 – 20 सितम्बर 1933) अग्रणी आध्यात्मिक, महिला अधिकारों की समर्थक, थियोसोफिस्ट, लेखक, वक्ता एवं भारत-प्रेमी महिला थीं.
सन 1917 में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्षा भी बनीं।
बेसेन्ट का जन्म लन्दन शहर में 1847 में हुआ. बेसेन्ट के ऊपर इनके माता पिता के धार्मिक विचारों का गहरा प्रभाव था। अपने पिता की मृत्यु के समय डॉ॰ मात्र पाँच वर्ष की थी। पिता की मृत्यु के बाद धनाभाव के कारण इनकी माता इन्हें हैरो ले गई। वहाँ मिस मेरियट के सानिध्य में इन्होंने शिक्षा प्राप्त की। मिस मेरियट इन्हें अल्पायु में ही फ्रांस तथा जर्मनी ले गई तथा उन देशों की भाषा सीखीं।17 वर्ष की आयु में अपनी माँ के पास वापस आ गईं।
युवावस्था में इनका परिचय एक युवा पादरी से हुआ और 1867 में उसी रेवरेण्ड फ्रैंक से एनी बुड का विवाह भी हो गया.
पति के विचारों से असमानता के कारण दाम्पत्य जीवन सुखमय नहीं रहा। 1870 तक वे दो बच्चों की माँ बन चुकी थीं. ईश्वर, बाइबिल और ईसाई धर्म पर से उनकी आस्था डिग गई। पादरी-पति और पत्नी का परस्पर निर्वाह कठिन हो गया और अंततः 1874 में उनका सम्बन्ध टूट गया. सम्बन्ध टूटने के बाद एनी बेसेन्ट को गम्भीर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा और उन्हें स्वतंत्र विचार सम्बन्धी लेख लिखकर धन कमाना पड़ा।
डॉ॰ बेसेन्ट इसी समय चार्ल्स व्रेडला के सम्पर्क में आई। अब वह सन्देहवादी के स्थान पर ईश्वरवादी हो गई। कानून की सहायता से उनके पति दोनों बच्चों को प्राप्त करने में सफल हो गये। इस घटना से उन्हें हार्दिक कष्ट हुआ।
यह अत्यन्त अमानवीय कानून है जो बच्चों को उनकी माँ से अलग करवा दिया है.
मैं अपने दु:खों का निवारण दूसरों के दु:खों को दूर करके करुंगी और सब अनाथ एवं असहाय बच्चों की माँ बनूंगी।
एनी वुड बेसेंट की जो हिन्दू धर्म से बहुत प्रभावित थी। उन्हें विमेंस राइट्स एक्टिविस्ट के रूप में जाना जाता था। वे भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन की प्रमुख नेता भी थी। जोर्ज बर्नार्ड शॉ के अनुसार वे उनके समय की सबसे महानतम महिला वक्ता थी।
एनी बेसेंट ने भारत में नारी की शिक्षा एवं विकास पर भी काफी काम किया। भारत को स्वतंत्र कराने के प्रति उनकी चिन्ता व सक्रियता को उनके भारत प्रेम का परिचायक माना जा सकता है। 1914 में उन्होंने दो पत्रिकाओं ‘न्यू इंडिया‘ दैनिक तथा ‘द कॉमन व्हील‘ साप्ताहिक का प्रकाशन कराया।
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महान समाजिक कार्यकर्ता एनी बेसेंट जी की शादी साल 1867 में फ्रैंक बेसेंट नाम के एक पादरी से हुई थी, लेकिन उनकी यह शादी ज्यादा दिनों तक चल नहीं सकी। शादी के करीब 6 साल बाद ही कुछ धार्मिक मतभेदों के कारण उन्होंने अपने पति से तलाक ले लिया था।
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1.
एनी बेसेंट 1889 में थियोसोफी के विचारों से प्रभावित हुई। वह 21 मई, 1889 को थियोसोफिकल सोसायटी से जुड़ गईं। शीघ्र ही उन्होंने थियोसोफिकल सोसायटी की वक्ता के रूप में महत्वपूर्ण स्थान बनाया।
2. उनका 1893 में भारत आगमन हुआ। वर्ष 1907 में वह थियोसोफिकल सोसायटी की अध्यक्ष निर्वाचित हुईं। उन्होंने पाश्चात्य भौतिकवादी सभ्यता की कड़ी आलोचना करते हुए प्राचीन हिंदू सभ्यता को श्रेष्ठ सिद्ध किया। धर्म में उनकी गहरी दिलचस्पी थी।
3.
उस काल में बाल गंगाधर तिलक के अलावा उन्होंने भी गीता का अनुवाद किया। वह भूत-प्रेत जैसी रहस्यमयी चीजों में भी विश्वास करती थीं।
4. वह 1913 से लेकर 1919 तक भारत के राजनीतिक जीवन की अग्रणी विभूतियों में एक थीं।
5. कांग्रेस ने उन्हें काफी महत्व दिया और उन्हें अपने एक अधिवेशन की अध्यक्ष भी निर्वाचित किया। उन्होंने बाल गंगाधर तिलक के साथ मिलकर होमरूल लीग (स्वराज संघ) की स्थापना की और स्वराज के आदर्श को लोकप्रिय बनाने में जुट गई। हालांकि बाद में तिलक से उनका विवाद हो गया।
6.
जब गांधीजी ने सत्याग्रह आंदोलन प्रारंभ किया तो वह भारतीय राजनीति की मुख्यधारा से अलग हो गईं।एनी बेसेंट ने निर्धनों की सेवा में आदर्श समाजवाद देखा। वह विधवा विवाह एवं अंतर-जातीय विवाह के पक्ष में थीं, लेकिन बहुविवाह को नारी गौरव का अपमान एवं समाज के लिए अभिशाप मानती थीं।
7. प्रख्यात समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी एनी बेसेंट ने भारत को एक सभ्यता के रूप में स्वीकार किया था तथा भारतीय राष्ट्रवाद को अंगीकार किया था।
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साल 1916 में बाल गंगाधर तिलक के बाद उन्होंने भारत में दूसरी बार होमरुल्स लीग की स्थापना की और स्वराज प्राप्ति की मांग की। इस लीग ने कांग्रेस की राजनीति को नई दिशा प्रदान की। इसके बाद साल 1917 में एनी बेसेंट को राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष बनाया गया, इसके अलावा इन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष होने का भी गौरव प्राप्त है।
उन्होंने इस दौरान देश के विकास के लिए कई काम किए थे। एनी बेसेंट थियोसोफी से संबंधित एक धार्मिक यात्रा पर भारत आईं थी, लेकिन फिर वे न सिर्फ भारतीय संस्कृति में रम गईं बल्कि वे भारत की स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हुईं और देश की प्रमुख नेता बनीं।
प्रतिभा-सम्पन्न लेखिका और स्वतंत्र विचारक होने के नाते एनी बेसेन्ट ने थियोसॉफी (ब्रह्मविद्या) पर लगभग 220 पुस्तकें व लेख लिखे ।
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एनी बेसेंट भारत की एक महान स्वतंत्रता सेनानी, राजनेता होने के साथ-साथ एक प्रसिद्ध समाज सुधारक भी थीं, जिन्होंने न सिर्फ इंग्लैंड में बल्कि, भारत में भी मजदूर और महिलाओं की हक की लड़ाई लड़ी एवं देश में फैली कई सामाजिक बुराईयों के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की।
इसके अलावा उन्होंने भारत में महिलाओं की शिक्षा को बढा़वा देने के लिए साल 1913 में वसंता कॉलेज की स्थापना की। इसके अलावा उन्होंने धर्मनिरपेक्षता एवं शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए केन्द्रीय हिन्दू कॉलेज की स्थापना की, जो कि बाद में बनारस हिन्दू विश्व विद्यालय का केन्द्रक बन गया।
एनी बेसेंट अपने जीवन के अंतिम दिनों में काफी बीमार हो गईं थी, जिसके चलते उन्हें 20 सितंबर, 1933 को ब्रिटिश भारत के मद्रास प्रेसीडेंसी के अडयार अपनी जिंदगी की आखिरी सांस ली। उनकी इच्छानुसार उनका अंतिम संस्कार बनारस की गंगा नदी में किया गया था।
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एनी बेसेंट के विचार निम्नलिखित है :
1.
भारत एक ऐसा देश है जिसमें हर महान धर्म के लिए जगह है।
2. हिन्दू धर्म विश्व में सबसे प्राचीन ही नहीं, सबसे श्रेष्ठ भी है।
3. भारत और हिन्दुत्व एक-दूसरे के पर्याय हैं. भारत और हिन्दुत्व की रक्षा भारतवासी और हिन्दू ही कर सकते हैं। हम बाहरी लोग आपकी चाहे जितनी प्रशंसा करें, किन्तु आपका उद्धार आपके ही हाथ है।
4.
आप किसी प्रकार के भ्रम में न रहें। हिन्दुत्व के बिना भारत के सामने कोई भविष्य नहीं है। हिन्दुत्व ही वह मिट्टी है, जिसमें भारतवर्ष का मूल गडा हुआ है। यदि यह मिट्टी दृढ हटा ली गयी तो भारतवासी वृक्ष सूख जायेगा।
5. भारत में प्रश्रय पाने वाले अनेक धर्म हैं, अनेक जातियां हैं, किन्तु इनमें किसी की भी शिरा भारत के अतीत तक नहीं पहुंची है, इनमें से किसी में भी वह दम नहीं है कि भारत को एक राष्ट्र में जीवित रख सकें, इनमें से प्रत्येक भारत से विलीन हो जाय, तब भी भारत, भारत ही रहेगा.
किन्तु, यदि हिंदुत्व विलीन हो गया तो शेष क्या रहेगा. तब शायद, इतना याद रह जायेगा कि भारत नामक कभी कोई भौगोलिक देश था।
6. भारत के इतिहास को देखिए, उसके साहित्य, कला और स्मारकों को देखिए, सब पर हिन्दुत्व, स्पष्ट रूप से, खुदा हुआ है।
7. चालीस वर्षों के सुगम्भीर चिन्तन के बाद मैं यह कह रही हूँ कि विश्व के सभी धर्मों में हिन्दू धर्म से बढ़ कर पूर्ण, वैज्ञानिक, दर्शनयुक्त एवं आध्यात्मिकता से परिपूर्ण धर्म दूसरा और कोई नहीं है।
8.
पूर्व जन्म में मैं हिन्दू थी।
9. भारत की ग्रामीण व्यवस्था को छिन्न भिन्न करना इंग्लैंड की सबसे बड़ी गलती थी।
10. समाजवाद आदर्श राज्य है, लेकिन इसे तबतक हासिल नहीं किया जा सकता, जबतक मनुष्य स्वार्थी है।
एक आयरिश क्षेत्र की महिला, एनी बेसेंट, 1917 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता सत्र के दौरान प्रथम महिला अध्ययक्ष बनी। वह एक महान महिला थी जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान भारत को एक स्वतंत्र देश बनाने के लिये महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
एनी बेसेंट 1893 में भारत आर्इं। उन्होंने पूरे भारत का भ्रमण कर ब्रिटिश हुकूमत की क्रूरता को देखा। बेसेंट ने देखा कि भारतीयों को शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी बुनियादी जरूरतों से भी दूर रखा जा रहा है। वे भारतीयों को उनके अधिकार दिलाने के लिए हमेशा उनके साथ खड़ी रहीं।
सेण्ट्रल हिन्दू कॉलेज की स्थापना-एनी बेसेण्ट ने अपने शैक्षिक विचारों को व्यावहारिक रूप प्रदान करने के लिए सेन्ट्रल हिन्दू कॉलेज की स्थापना की। इससे पाश्चात्य एवं भारतीय शिक्षण विधियों का सुन्दर समन्वय किया गया है। राष्ट्रीय शिक्षा का प्रयास-एनी बेसेण्ट ने राष्ट्रीय शिक्षा पर बहुत बल दिया।
एनी बेसेंट का जन्म 1 अक्टूबर 1847 में लंदन के एक मध्यम वर्गीय परिवार में एनी वुड के रूप में हुआ था
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